spot_img
Homeਮਾਝਾਗੁਰਦਾਸਪੁਰरानजनीति का गढ़ होने के बावजूद मौलिक सुविधाअेां से वंचित कादियां शहर...

रानजनीति का गढ़ होने के बावजूद मौलिक सुविधाअेां से वंचित कादियां शहर अस्पताल में डाक्टरों, सीवरेज, तथा पानी की समस्या से जूझ रहा शहर

कादियां- यूँ तो विधानसभा हल्का कादियंा पिछले लम्बे अरसे से राजनीतिज्ञों का गढ़ रह चुका है तथा अभी भी है लेकिन जहां तक मौलिक सुविधाओं की बात की जाये तो आज तक कादियां शहर इन सुविधाओं से वंचित है जबकि इस ऐतिहासिक शहर के नजदीकी गांवों तथा कस्बों में सुविधओं की कमी नहीं लेकिन शहर कादियां हमेशा ही राजनीतिक की भेंट चढ़ता रहा है तथा लोग तथाकथित पार्टीयों के साथ खुद को जुड़े होने की बात कह कर अपने बच्चों के भविष्य को दाव खेलते रहे हैं। लेकिन शायद इस बार कोई करिशमा हो तथा कादियंा को संवारने वाला कोई नेता इस शहर को मिल जाये। उल्लेखनीय है कि 20 हजार के करीब इस अबादी वाले शहर में सरकारी अस्पताल तो है लेकिन उसमें डाक्टरों की कमी के चलते सैंकड़ों लोगों रास्ते में दम तोडऩा पड़ता है।
अस्पताल में डाक्टरों की कमी के कारण रास्ते में हो जाती लोगों की मौत
उल्लेखनीय है कि उक्त अस्पताल  के लिये  ढाई एकड़ जगह एक एन आर आई जगदेव सिंह बाजवा द्वारा अपने पिता बलदेव सिंह बाजवा की याद में दी थी ताकि यहां पर अस्पताल बने तथा लोगों को सुविधाऐं मिल सकें। लेकिन अस्पताल की ईमारत तो आलिशान है लेकिन जहां तक डाक्टरों का प्रशन है तो सिर्फ एक एस एम ओ से ही अस्पताल में काम चल रहा है रात के समय में डाक्टरों की अनुपस्थिती तथा सुविधाओं के टोटे की वजह से मरीजों को बटाला या अमृतसर के लिये रैफर कर दिया जाता है जोकि रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।बताया जाता है कि प्राईवेट अस्पतालों के चलते यहां पर नेताओं द्वारा कभी भी डाक्टरों लाने के लिये प्रयास नहीं किया गया क्योंकि उक्त प्रावईट अस्पताल प्रबंधन वोटों तथा नोटों के माध्यम से उक्त नेताओं को कहीं न कहीं दबा देते हैं जिसके कारण उन्होंने लोगों की सुविधा के लिये कभी प्रयास नहीं किया। जिसके चलते गत दिवस एक 55 वर्षीय महिला को योगय डाक्टरों की कमी के चलते प्राईवेट अस्पतालों के चक्कर काटते काटते अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसी ही अनेकों उदाहरणें होंगी जहां पर इलाज न हो पाने के कारण लोगों के प्रियजनों ने उनकी आंखों के समक्ष दम तोड़ दिया होगा।
3 करोड़ रूपये सीवरेज  के नाम पर जमीन में दबे
जहां तक सीवरेज की कमी की बात की जाये तो बारिश होते ही शहर के अधिकत्तर हिस्से पानी में डूब जाते हैं लेकिन प्रशासन तथा नेताओं ने कभी इस ओर ध्यान देने का प्रयास किया है। सन   2004 मेें कैबिनट मन्त्री तृप्त रजिन्द्र सिंह बाजवा  द्वारा कादियंा में सीवरेज डालने की शुरूआत की गई थी लेकिन 2007 तक कादियां चूँगी से लेकर हरचोवल रोड़ तक करीब 3 करोड़ रूपये की लागत से सीवरेज पाईप डाल दिये गये, इस दौरान लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन बाद में कुछ अज्ञात कारणों के चलते काम को बीच में ही रोक दिया गया। लोगों ने सन 2007 में अपना गुस्सा चुनावों में निकाला तथा कादियां से लखबीर सिंह लोधीनंगल विधायक बने। उन्होंने बिना सोचे समझे सरकार के लगे 3 करोड़ रूपयों पर मिटटी डलवा कर सडक़ बना दी न ही उसे किसी पाईप के साथ जोड़ा गया। आज करीब 15 वर्ष हो चुके हैं दो बार बाजवा परिवार से चरणजीत कौर बाजवा तथा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा विधायक रहे लेकिन उन्होंने भी सीवरेज को डलवाने के लिये रूचि नहीं दिखाई। आज आलम यह है कि जब भी बारिश होती है तो पानी लोगों की दुकानों,घरों तथा सडक़ों पर भरा रहता है लेकिन कभी किसी मतदाता ने इस बारे में नेताओं से सवाल नहीं पूछे और पांच वर्ष आज जब मत लेने के लिये दोबारा नेता वोट माँगने आ रहे हैं। इन मुद्दों के बारे में जागरूक करवाने हेतू
टैंकी साबित हो रही है सफेद हाथी
कादियां में करीब 30 वर्ष पूर्व पानी की टंकी का निर्माण करवाया गया था लेकिन टैंकी बनने के बाद से ही एक बार भी नहीं चली। जब कभी कादियंा में पानी सप्लाई वाली मोटरें खराब होती हैं तो चार चार दिन लोगों को बिना पानी के काटने पड़ते हैं तब लोग प्रशासन व सरकार के विरूद्ध नारेबाजीयां करते हैं लेकिन आज जब नेतागण उनके दरवाजों पर आ रहे हैं तो उनसे कोई भी सवाल पूछने से गुरेज करता है। किसी ने भी उस टैंकी के निर्माण में लगे लाखों रूपये के बारे में हिसाब नहीं लिया, करोड़ों रूपये जनता के टैक्स के जो जमीन में दब कर रह गये हैं उनके बारे में नहीं पूछा तथा अमुल्य जिंदगीयां जो डाक्टरों की कमी के कारण खत्म हो जाती हैं उनका हिसाब नहीं पूछा जनता को आज अपनी इन मौलिक सूविधाओं के बारे में नेताओं को पूछना चाहिये ताकि अपने भविष्य को बचा सकें।

munira salam
munira salam
Editor-in-chief at Salam News Punjab
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments