कादियां (तारी)
भाजपा मंडल प्रधान डॉ अजय कुमार छाबड़ा ने आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने ही पार्टी के पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए डॉ अजय कुमार छाबड़ा ने कहा कि लोकसभा सांसद होने के नाते सनी देओल द्वारा लोकसभा क्षेत्र के विकास के लिए प्राप्त अनुदान को सांसद के पीए पंकज जोशी ने पंजाब अध्यक्ष के इशारे पर केवल पठानकोट जिले में ही खर्च किया है जो थोड़ा बहुत अनुदान गुरदासपुर या बटाला जिले के लिए दिया भी गया तो वह सिर्फ अफसरशाही के आदेशानुसार समाजिक संगठनों को ही आशिक अनुदान के रूप में मुहैया करवाया गया। उन्होंने कहा कि हैरानी जनक बात यह है कि मुश्किल समय में पार्टी का परचम लहराने वाले मंडल अध्यक्षों की सिफारिश पर किसी भी तरह के विकास के लिए कोई भी राशि जारी नहीं की गई। जिससे विधानसभा कादिया के कार्यकर्ताओं में भारी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले इस कार्य संबंधी कई बार सांसद के पीए पंकज जोशी से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। जब इस बारे में गत माह जिला प्रधान परमिंदर सिंह दिल से इस विषय में बात की गई तो गिल ने स्वयं बताया कि उनके कहने पर भी कोई ग्रांड अभी तक जारी नहीं हुई है हालांकि सांसद के दिल्ली स्थित ओएसडी अशोक चोपड़ा कुछ दिन खुद सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों की मांगे सुनकर जरूर गए हैं लेकिन अभी तक लोग इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने इस तरह के अन्याय पूर्ण भेदभाव के चलते भावी लोकसभा चुनावों में पार्टी को बेहद नुकसान होने की आशंका जताई है। डॉ छाबड़ा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जब कोई भाजपा का दामन थामने को तैयार नहीं था तब मंडल प्रधानों ने अपनी पूरी निष्ठा पार्टी के प्रति दिखाई लेकिन उन मंडल प्रधानों के क्षेत्रों की समस्याओं के बारे में किसी भी प्रकार की गंभीरता नहीं दिखाई गई। उन्होंने बताया कि केवल पंजाब प्रधान अश्विनी शर्मा के जिले में ही अनुदान की राशि को खर्च किया गया है।
उन्होंने सांसद के पीए पंकज जोशी से प्रश्न किया कि क्या जिला प्रधान से निजी खुन्नस के कारण उनके जिले में विकास के लिए अनुदान जारी नहीं किए गए ।
जब इस संबंध में पूर्व जिला प्रधान परमिंदर सिंह गिल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी सिफारिश पर उनके समय के दौरान किसी भी ब्लॉक के गांव के विकास के लिए कोई ग्रांट जारी नहीं की गई। जबकि करोना के दौरान मास्क एवं सिविल अस्पताल के लिए एंबुलेंस जरूर दी गई थी।